May 24, 2012

मुझे तो अपनों ने लुटा, गेर्रों मे कहा दम था।

मुझे तो अपनों ने लुटा, गेर्रों मे कहा दम था।
मेरी हड्डी वही टूटी , जहा हॉस्पिटल बंद था।
मुझे जिस एम्बुलेंस मे डाला, उसका पेट्रोल खत्म था।
मुझे रिश्के मे इसलिये बैठाया , क्योकि उसका भाडा कम था।
मुझे डाक्टर ने उठाया, बसों मई कहा दम था।
मुझे  जीस बेड पर लेटाया , उसके निचे बम था।
मुझे तो बम ने उड़ाया , गोली मई कहा दम था।
और मुझे सड़क पर दफनाया, क्योकि कब्रस्थान मे फंक्सन था।

May 19, 2012

Decent Husband Wife

एक दंपत्ति की शादी को साठ वर्ष हो चुके थे। उनकी आपसी समझ इतनी अच्छी थी कि इन साठ वषरें में उनमें कभी झगड़ा तक नहीं हुआ। वे एक दूजे से कभी कुछ भी छिपाते नहीं थे। हां, पत्नी के पास उसके मायके से लाया हुआ एक डिब्बा था जो उसने अपने पति के सामने कभी खोला नहीं था। उस डिब्बे में क्या है, वह नहीं जानता था। कभी उसने जानने की कोशिश भी की तो पत्नी ने यह कह कर टाल दिया कि सही समय आने पर बता दूंगी। आखिर एक दिन बुढि़या बहुत बीमार हो गई और उसके बचने की आशा न रही।
उसके पति को तभी खयाल आया कि उस डिब्बे का रहस्य जाना जाये। बुढि़या बताने को राजी हो गई। पति ने जब उस डिब्बे को खोला तो उसमें हाथ से बुने हुये दो रूमाल और 50,000 रूपये निकले। उसने पत्नी से पूछा, यह सब क्या है। पत्नी ने बताया कि जब उसकी शादी हुई थी तो उसकी दादी मां ने उससे कहा था कि ससुराल में कभी किसी से झगड़ना नहीं । यदि कभी किसी पर क्त्रोध आये तो अपने हाथ से एक रूमाल बुनना और इस डिब्बे में रखना।
बूढ़े की आंखों में यह सोचकर खुशी के मारे आंसू आ गये कि उसकी पत्नी को साठ वषरें के लम्बे वैवाहिक जीवन के दौरान सिर्फ दो बार ही क्त्रोध आया था। उसे अपनी पत्नी पर सचमुच गर्व हुआ। खुद को संभाल कर उसने रूपयों के बारे में पूछा । इतनी बड़ी रकम तो उसने अपनी पत्नी को कभी दी ही नहीं थी, फिर ये कहां से आये? रूपये! वे तो मैंने रूमाल बेच बेच कर इकठ्ठे किये हैं।
पत्नी ने मासूमियत से जवाब दिया।